क्या आयेंगा ऐसा फागुन कभी ? कब...........? बाट जोहता हर भारतीय एक आस। क्या आयेंगा ऐसा फागुन कभी ? कब...........? बाट जोहता हर भारतीय एक आस।
दोनों को रंग दे प्यार के रंग में वे होली खेले बड़े स्नेह से ! दोनों को रंग दे प्यार के रंग में वे होली खेले बड़े स्नेह से !
दे गया वो रंग दर्द का बना है रंग जो अब मेरी हर होली का। दे गया वो रंग दर्द का बना है रंग जो अब मेरी हर होली का।
कभी तो मैं भी बनूँगा शबनम से शोला। कभी तो मैं भी बनूँगा शबनम से शोला।
तो देखा, कैसे तीन सौ पैंसठ दिन, होती हम पर रंगों की बौछार। तो देखा, कैसे तीन सौ पैंसठ दिन, होती हम पर रंगों की बौछार।
आई फागुन रुत चहुँ दिशि छाई तो जौबन ले अँगड़ाई सखि री रुत होली की आई। आई फागुन रुत चहुँ दिशि छाई तो जौबन ले अँगड़ाई सखि री रुत होली की आई।