नूर ए इलाही
नूर ए इलाही
खुदा का नजरे कर्म जब हम पर होगा
ताब ए करिश्मा तब हम दम पर होगा
आबेहयात घुलेगी जीवन की मधुशाला में
नूर ए इलाही का फरमान जब जारी होगा
जीने को तो जी रहे हैं हम नूर के बिना
मगर हमको यकीन हैं रब बेनूर नही होगा
उसकी खोज में भटकता हैं जो यहां से वहां
उससे उसका रब कभी दूर नही होगा
मुझको भी यकीन हैं तूझ पर ओ मेरे मौला
कभी तो मैं भी बनूँगा शबनम से शोला।
