अमृत कलश
अमृत कलश
जीवन एक रंग मंच है जीवन जीना एक कला है
यहाँ पर प्रत्येक किरदार मिट्टी के साँचे में ढला है
वो ऊपर वाला कुम्हार है जो हमे ढालता रहता है
दुख सुख की गरम आँच पर हमे पकाता रहता है
इस गरम आँच को कुछ तो सहन करते कुछ नही
और कुछ खुद अपने कर्मो से कुम्हार बन जाते है
छोटे बडे अनेक आकार का कुम्हार हमे बनाता है
फिर अनेक रंग रुप कलाओ से हमको सँवारता है
बाहर से देखने मे मजबूत पक्की मिट्टी का मटका
लेकिन अंदर से खाली आवाज करने वाला मटका
अगर किसी ने इसे भरा तो ये सबके काम आता है
अगर खाली रह गया तो ये खुद प्यासा मर जाता है
हाँ अगर किसी ने इसे प्रेम के पानी से भर दिया तो
यह मिट्टी का मटका भी अमृत कलश बन जाता है।