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मनीष शर्मा "मनु"

Romance

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मनीष शर्मा "मनु"

Romance

मेरे शहर एक खत था

मेरे शहर एक खत था

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मेरे शहर इक खत था आया जो मुझसे टकरा गया

बिन देखे ही हाल ए दिल तेरा मुझको समझ आ गया


किसी अपने के लिए तूने खत में अहसास लिखे थे

मुझे माफ करना तुम मैने तेरे वो अहसास पढ़ लिये थे


वो अहसास किसी की अमानत थे मगर मुझे छू गये

कितनी खुशनसीब है वो जिसके अहसास तुझे छू गये


तेरे अहसास तेरी मोहब्बत की दास्तां बयां करते हैं

अब हम भी किसी से मोहब्बत करने की चाह रखते हैं


खुदा करे हमे भी किसी से तुमसी मोहब्बत हो जाये

फिर तेरी तरह अहसास हम भी उसके लिए लिख पाये


फिलहाल तो तेरा खत तेरी अमानत को भेज रही हूँ

मगर मैं तेरे दूसरे खत के आने का इंतजार कर रही हूँ


खुदा करे तू पहली गलती फिर से दूजी बार दोहराये

तेरा दूसरा खत फिर से"मनु"मुझसे आकर के टकराये!




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