मत कर प्यार की बस -बस
मत कर प्यार की बस -बस
ओ चख मेरे चुम्बन का रस,
मत कर प्यार की बस - बस,
ओ चख मेरे चुम्बन का रस।
मेरे अधर दीवाने,
ये तू अच्छे से जाने,
फिर क्यूँ ऐसे तू ?
बेरुखी के मारे ताने।
ओ चख मेरे चुम्बन का रस,
मत कर प्यार की बस - बस,
ओ चख मेरे चुम्बन का रस।
ये लाली - सुर्खी,
मैने रोज लगाई,
देख तुझे रिझाने .....
तेरी प्रियतमा आई।
ओ चख मेरे चुम्बन का रस,
मत कर प्यार की बस - बस,
ओ चख मेरे चुम्बन का रस।
प्यासा सावन आया,
जिया ऐसा धड़काया,
मेरे लबों पे पड़ गया,
तेरे लबों का साया।
ओ चख मेरे चुम्बन का रस,
मत कर प्यार की बस - बस,
ओ चख मेरे चुम्बन का रस।
इन्हें चखने में हर्ज ही क्या है ?
ये रस अनमोल बड़ा है,
तू कई बार आयेगा ....
इस रस का रोग बुरा है।
ओ चख मेरे चुम्बन का रस,
मत कर प्यार की बस - बस,
ओ चख मेरे चुम्बन का रस।।