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Praveen Gola

Romance

4.5  

Praveen Gola

Romance

मत कर प्यार की बस -बस

मत कर प्यार की बस -बस

1 min
397


ओ चख मेरे चुम्बन का रस,

मत कर प्यार की बस - बस,

ओ चख मेरे चुम्बन का रस।


मेरे अधर दीवाने,

ये तू अच्छे से जाने,

फिर क्यूँ ऐसे तू ?

बेरुखी के मारे ताने।


ओ चख मेरे चुम्बन का रस,

मत कर प्यार की बस - बस,

ओ चख मेरे चुम्बन का रस।


ये लाली - सुर्खी,

मैने रोज लगाई,

देख तुझे रिझाने .....

तेरी प्रियतमा आई।


ओ चख मेरे चुम्बन का रस,

मत कर प्यार की बस - बस,

ओ चख मेरे चुम्बन का रस।


प्यासा सावन आया,

जिया ऐसा धड़काया,

मेरे लबों पे पड़ गया,

तेरे लबों का साया।


ओ चख मेरे चुम्बन का रस,

मत कर प्यार की बस - बस,

ओ चख मेरे चुम्बन का रस।


इन्हें चखने में हर्ज ही क्या है ?

ये रस अनमोल बड़ा है,

तू कई बार आयेगा ....

इस रस का रोग बुरा है।


ओ चख मेरे चुम्बन का रस,

मत कर प्यार की बस - बस,

ओ चख मेरे चुम्बन का रस।।


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