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D.N. Jha

Romance

4  

D.N. Jha

Romance

फागुन की होली

फागुन की होली

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आई अपनी रंगों की होली, 

होली है कितनी अलबेली।


हवा ने धूल- गुलाल उड़ेली,

बादली है रंग बरसाने वाली।


मधुमास में मधु की प्याली,

किसने इसमें भंग है डाली।


गुंजन करती हैं वो आलि,

लगती है जैसे मतवाली।


भानूदय पूर्व जगते अलि,

फागुन की है छटा निराली।


देख तेरे गालों की लाली,

मन में छाई है हरियाली।


रंग गई देखो तेरी चोली,

आई है फागुन की होली।



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