D.N. Jha
Action Inspirational
रहना जिसे निरोग है, करिए नित उठ योग।
रहे स्वस्थ तन ओर मन, पाएं जीवन भोग।।
जीवन जीना है सरल, करिए नित उठ योग।
योग नहीं करते कभी, हो जाता है रोग।।
तन से रहना है सुखी, करिए नित उठ योग।
काम सही करते वही, कहते हैं कुछ लोग।।
चंद्रयान
चारधाम (कुंडल...
महॅंगाई
मालिक
विश्राम को हर...
योग
आएगा तूफान
बिखर रहे परिव...
आओ सीखें कुछ ...
किसान
हर एक प्रहार मैं जोर करूँ प्रतिदिन ही श्रम घोर करूँ हर एक प्रहार मैं जोर करूँ प्रतिदिन ही श्रम घोर करूँ
रहे वो हरदम साथ, सुनो फरियाद रहनुमा। रहे वो हरदम साथ, सुनो फरियाद रहनुमा।
सब कुछ का तो पता नहीं पर मुझे कुछ तो जरूर करना हैं। सब कुछ का तो पता नहीं पर मुझे कुछ तो जरूर करना हैं।
बीच चौराहे पर देती मैं उनको पल में चीर सखे.. ग़र होता बस में मेरे... बीच चौराहे पर देती मैं उनको पल में चीर सखे.. ग़र होता बस में मेरे...
क्या गलत है क्या सही है, मुझको ना परवाह है क्या गलत है क्या सही है, मुझको ना परवाह है
जय हिंद जय भारत, मनाएं दिवस हिन्दी। जय हिंद जय भारत, मनाएं दिवस हिन्दी।
इक बड़ा बाज़ार है ये ज़िन्दगी आदमी मिलते यहाँ हर दाम के। इक बड़ा बाज़ार है ये ज़िन्दगी आदमी मिलते यहाँ हर दाम के।
चलने लगी पाने उद्गम अपनी इयत्ता की। चलने लगी पाने उद्गम अपनी इयत्ता की।
खतरे में है स्वर्ग से सुन्दर, अपना यह प्यारा संसार धधक रही है। खतरे में है स्वर्ग से सुन्दर, अपना यह प्यारा संसार धधक रही है।
मिला था जो प्यार कभी हमें, खोकर उसे अब बिता रहे है लम्हे। मिला था जो प्यार कभी हमें, खोकर उसे अब बिता रहे है लम्हे।
उपदेश देता वो मरते-मरते, अभी तक लक्ष्मण जिससे अछूता था। उपदेश देता वो मरते-मरते, अभी तक लक्ष्मण जिससे अछूता था।
इन्हीं पलों की खातिर ही होते हैं नाते, याद रख मधुरता सारी कटुता भुलाते। इन्हीं पलों की खातिर ही होते हैं नाते, याद रख मधुरता सारी कटुता भुलाते।
हिमालय की ठिठुरती ठंड में भी ना हटूँ पीछे मैं लड़ूँ दुश्मन से वहां भी आन बान से। हिमालय की ठिठुरती ठंड में भी ना हटूँ पीछे मैं लड़ूँ दुश्मन से वहां भी आन बान से।
शब्दों में वर्णन कर सकूँ न बलिदान स्वांतन्त्र्वीर का ऐसा था। शब्दों में वर्णन कर सकूँ न बलिदान स्वांतन्त्र्वीर का ऐसा था।
जिसे तुम किसी से छीन रहे हो उसे तो किसी ने कमाया है जिसे तुम किसी से छीन रहे हो उसे तो किसी ने कमाया है
गणपति बप्पा मोरया पुड़चा वर्षी लोकरिया। गणपति बप्पा मोरया पुड़चा वर्षी लोकरिया।
अलफ्रेड़ पार्क में प्राण गँवायें थर्र-थर्र अंग्रेज जिनसे कांपे थे।। अलफ्रेड़ पार्क में प्राण गँवायें थर्र-थर्र अंग्रेज जिनसे कांपे थे।।
बड़े-छोटे मेरे हुक्म चलाते, न मना कभी कर पाती हूँ बड़े-छोटे मेरे हुक्म चलाते, न मना कभी कर पाती हूँ
मां आप को शत-शत नमन कर जाते हैं। मां आप को शत-शत नमन कर जाते हैं।
वीर अनोखा महाराणा था, शौर्य, वीरता जिसकी निशानी थी। वीर अनोखा महाराणा था, शौर्य, वीरता जिसकी निशानी थी।