बिखर रहे परिवार
बिखर रहे परिवार
पश्चिम की करके नकल,बिखर रहे परिवार।
अपनी धुन में है सभी,भरा पड़ा अखबार।।
बिखर रहे परिवार सब, चिंता की है बात।
मिलजुल रहते थे सदा,कभी तात के तात।।
पश्चिम की करके नकल,बिखर रहे परिवार।
अपनी धुन में है सभी,भरा पड़ा अखबार।।
बिखर रहे परिवार सब, चिंता की है बात।
मिलजुल रहते थे सदा,कभी तात के तात।।