जिन्दगी
जिन्दगी
न साथ बचा न शब्द
अजीब सा आलम छाया है
न कह सके वह अपनी बातें
न कोई सुने दिल की
यह कैसा मौसम आया है.....
समुद्र की लहरें उठती मन में
दिखता नहीं कोई छोर
रह रह कर झलकते ये आंसू
तप्त जिनका नहीं है छोर
जाने कैसा बदला मौसम
दोष किसका कैसे लगी ये चोट
हम थे मग्न ना जान पाए कि
गम छिपा हुआ था
ले खुशियों की ओट .....
अभी-अभी तो ख्वाहिशों ने
की थी उड़ान की शुरुआत
ना छोड़ पाती थी खुशियां
प्रकाश गति से गुजरती थी राते
ना आंखों में नींद बची थी
तब खुली आंखों से देखते थे सपने
लेकिन अब संगी साथी भी खूब मजे ले
फिर क्या पराये क्या अपने ......
जाने किसकी नजर लगी
जो बह गए सारे अरमान
छिटक गए वह सारे सपने ऐसे
जैसे तीर छोड़ चले कमान
कसा गया क्यों किसके लिए
किस ने निशाना साधा
किसके दिल में चोट लगी थी
कौन समझ रहा था वादा
क्या खुश रहने का हक नहीं
जो ईश्वर करे रुसवाई
बात करूं मैं किस जीवन की
कटे ना ये अब तन्हाई ......
सिमट गए हैं हम खुद में ही
बागों में भी दिखते काटें
रोते-रोते अब दिन बितता है
बिखरी यादों संग कटे अब रातें
मगर याद रखना
एक दिन तू भी विवश होगा
उन त्योहारों में रोएगा
तू भी अकेले में मांगेगा
हमें उन टूटते तारों में
क्योंकि हमने निस्वार्थ चाहा
नहीं था मेरी चाहत में दोष
मांगा था एक सामान्य जीवन
हमने कब कुबेर कोस .....
क्या कहता है तू कि
ईश्वर ने ही यह रीत बनाई है
दिन के बाद रात आए
यह बताकर तू छुपाता है
अपनी रुसवाई
क्या दिखे नहीं तुझे यह तप्त
आंसू और यह अकेलापन
झूठे आंसू लेकर मत कर दिखावा
कि तू निर्दोष है
इतना लाचार नहीं था तू भी
तेरा भी कुछ दोष है.....
खैर मत सोच कि ऐसा वैसा
कुछ कर जाएगा
प्रकृति का साथ मिला
अब हम एक नया जहां बनाएंगे
अकेलेपन एकाकी को
अपना हथियार बनाएंगे
करेंगे अब हम चिंतन
तू रहे बेफिक्र
न आवाज देंगे तुझे
तू है अब टूटा हुआ कंचन
चार माह में प्रगति बदले
क्या नियम नहीं जानते
देते जो धोखा सबको
वह ईश्वर को नहीं पहचानते .....
बदल देंगे तस्वीर तेरा
हर निशा उतार फेंक देंगे
रंगेंगे ए जिंदगी तस्वीर में
जीवन रंग से भर देंगे
और सुन जीना सीख लिया
अब तू लौट कर ना आना
न याद रहेगा अब साथ तेरा
हमने तुझे बहुत अच्छे से पहचाना....
एक नए जीवन की
मैंने अब की शुरुआत
जीवन को बनाया संगीत
लिखकर फिर एक नया साज
अब न हम अपने लिए
गैरों के लिए जीते हैं
क्या तू जानता है
दिखता नहीं अपना गम उन्हें
जो गैरों की खुशी के लिए जीते हैं
खुश हूं मैं इस नई दुनिया में
जहां ना कोई दर्द तन्हाई
छोड़ आये अब वो बचपना
अब फिर जीवन तरुण
लेता अंगड़ाई.......