बढे चलो,बढे चलो
बढे चलो,बढे चलो
बढे चलो,बढे चलो।
वीरता से बढ़े चलो।।
कर्मवीर हो तुम,
शूरवीर हो तुम,
थक तुम सकते नहीं,
टूट तुम सकते नहीं।
बढे चलो,बढे चलो।
वीरता से बढ़े चलो।।
अनगिनत शूल हैं,
धाराएं प्रतिकूल हैं,
पर हार तुम सकते नहीं,
झुक तुम सकते नहीं।
बढे चलो,बढे चलो,
वीरता से बढ़े चलो।।
एकता पहचान हैं,
तिरंगा शान है,
देशभक्ति का भाव हैं,
दिलो में समभाव हैं।
तो बढे चलो,बढे चलो,
वीरता से बढ़े चलो।।
लाख रुकावटें हैं,
पर मस्तक पर न सिलवटे हैं,
सिंह की दहाड़ लो,
तोड़ो दुखो के पहाड़ को।
तो बढे चलो,बढे चलो,
वीरता से बढ़े चलो।
विजयी तुम्हे ही होना है,
गीत विजय का गाना हैं,
करो तिलक अब पावन रज का,
गीत गायों देशप्रेम का।
बस बढे चलो, बढे चलो,
वीरता से बढ़े चलो।
