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Raja Sekhar CH V

Drama Tragedy Action

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Raja Sekhar CH V

Drama Tragedy Action

सख़्त हुकूमत

सख़्त हुकूमत

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बेवजह सख़्ती से ज़ुल्म ज़ख्म देता जाए जब हुक़ूमत,

आवाम में भर दिया जाए हद से ज़्यादा जब नफ़रत,

बंद हो जाएँ जब वाजिब सवाल जवाब के सही आदत,

समाज में फैलते जाएँ जब अनचाहे बेबुनियाद दहशत |१|


टूटता जाए जब मुल्क़ की तिजारत,

आता जाए रोज़ग़ार छूटने की नौबत,

ढेर होता जाए तब वतन की बरक़त,

बर्बाद हो जाए सल्तनत की सेहत |२|


पढ़े लिखे माहिर होते रहेंगे जब बेइज़्ज़त,

अनसुनी की जाएगी बुज़ुर्गों की कैफ़ियत,

सच बोलने से बढ़ता जाए जब मुसीबत,

ईमानदार पत्रकार पर लगे तब तोहमत |३|


आम आदमी में न रहे यक़ीन की मिल्कियत,

जब वो कर नहीं सकते हैं कोई भी शिकायत,

बेगुनाहों को मिलते रहें जब नाजायज़ हिरासत,

बर्दाश्त से पार हो जाते हैं लोगों के बुरे हालात |४|


रातों रात जब लगा दिया जाए मनमानी शर्त,

वकील जब कर न सकें वकालत की हिम्मत,

इन्साफ़ पसंद मुंसिफ की जब न हो हिफाज़त,

तब ग़ैर-कानूनी हालात बन जाए नई हक़ीक़त |५|


जीने के वास्ते जब लेना पड़ेगा इजाज़त,

बादशाह जब सिर्फ़ सुने हर बुरी नसीहत,

खत्म हो चुका जब सुल्तान में इंसानियत,

तब जम्हूरियत की नहीं है कोई ज़रूरत |६|



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