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Pankaj Prabhat

Drama Tragedy

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Pankaj Prabhat

Drama Tragedy

इश्क मेरे दिल का

इश्क मेरे दिल का

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इश्क़ मेरे दिल का, अश्क बनकर रह गया,

हकीकत का ये अफसाना, रक्स बनकर रह गया।

हम जिन्हें खुद में बसा कर, जहाँ में ढूँढा किये,

वो मेरे जीने का सबब, मेरा अक्स बनकर रह गया।

इश्क़ मेरे दिल का........….


चाँद समझकर हम उन्हें, रातों में ढूँढा किये,

एक हसरत की तरह, मंदिरो में सोचा किये,

ख्वाब बना कर उनको, आँखों में बसाए रहे,

ख्वाबों का ये सिलसिला, बस ख्वाब ही रह गया।

इश्क़ मेरे दिल का........….


न हुए तन्हा कभी तन्हाई में, उसकी यादों के साये थे,

हम अपनी इस तन्हाई को, उसकी यादों से सजाएं थे,

याद न करने का वादा लेकर, वो हँस कर चल गए,

उनका ये अंदाज भी एक, याद बन कर रह गया।

इश्क़ मेरे दिल का........….


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