तेरी हसीन आँखें
तेरी हसीन आँखें
हसीन हैं तेरी आँखें, इनमें हसीन चंद ख्वाब हैं,
मासूमियत भी है इनमें, और शरारत बेहिसाब है।
शर्म पढ़ूँ इनमें, या फिर पढ़ूँ प्यार का पयाम?
हर जज़्बात, जिसमें पढ़ूँ, ये वो किताब हैं।
हसीन हैं तेरी आँखें, इनमें हसीन चंद ख्वाब हैं…..
गहराई में ये समंदर, ठहराव में ये आसमान हैं,
लगता है जैसे कैद, इनमें मेरे दोनों जहान हैं।
रात की रागिनी, सुबह की रौशनी, दोनों इनमें है,
हटाए तुझसे नज़र, इतना साहस किसमें है?
भीगें तो ये पंकज, और हँसें तो ये गुलाब हैं।
हसीन हैं तेरी आँखें, इनमें हसीन चंद ख्वाब हैं…..
तेरी आँखें हैं मेरी गज़ल, तेरी आँखें ही मेरे शेर हैं,
तेरी झुकी पलकों से रात और, उठने से सवेर है।
रास और राग भी है इनमें, रंग और नूर भी हसीन,
वक़्त को रोक दे जो, ऐसी आँखें देखी है कहीं?
के सवाल जज़्ब हैं इनमे, और ये खुद ही ज़वाब हैं।
हसीन हैं तेरी आँखें, इनमें हसीन चंद ख्वाब हैं…..