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Akansha Rupa chachra

Romance

4.7  

Akansha Rupa chachra

Romance

शीर्षक-रूसवाई

शीर्षक-रूसवाई

1 min
252


दर्द का रिश्ता जिंदगी से जुड़ने लगा।

दिल टूटा इस तरह, फिर बिखरने लगा।

तन्हाई मे धडकने रुलाने लगी।

न जाने क्यो ,बीते दिने की रुसवाई सताने लगी।

बंजर जमी पर काँटो के जो पौधे लगे थे।


उन से फूलों की उम्मीद नहीं करेगे।

दिल के गलियारो को अश्रुओ से भर दिया।

उन्के कदमो की आहट आने लगी।

बेजान बुत माटी का साँसे ले रहा।

अरमानो की बारिशे छलछलाने लगी।


उम्मीद टूट न जाए, दम निकलने से पहले 

दस्तक दोगे आस लगाए जिदगी की दहलीज पर

दर्द मीठा लगने लगा जो मिला।।

 जीने की आस नहीं ,मरने का खौफ नहीं।


तुझ पर मर मिटे है। जमाने की जिल्लतो का अफसोस नहीं।

गैरो से मिले फरेब हँस कर सह लिए। 

तेरे दिए जख्म नासूर बन गए। 

दर्द और हम कुछ इस तरह मिल गए। ।

जीवन के रंग गम से मिले हम 

प्यार के रिश्ते रंगहीन हो गए। 


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