उनकी बातों के निशान बहुत गहरे हैं ,
चारों तरफ सिर्फ पहरे ही पहरे हैं |
वो सादगी से करते हैं ....
बयाँ अपना हाल ~ए ~दिल ,
हम इतमिनान से सुनते हैं ,
खिलते हैं अपने दिल में गुल |
उनकी बातों में उलझकर ,
ये दिल मचलता है ,
रात भर चोरी चुपके ,
उनसे मिलने को तड़पता है |
वो कितने हमारे लिए अब ठहरे हैं ,
उनकी बातों के निशान बहुत गहरे हैं |
उनकी बातों में ज़रूरी नहीं ,
दिल ~ए ~बहार का शोर हो ,
कभी प्यार भरी सी कहानी ,
तो कभी तकरार ~ए ~ गम का दौर हो |
हर दौर से गुजर कर भी ,
नशा बरकरार रहे ,
उनकी बातों से ....
ये दिल आबाद रहे |
उनके आते ही खिलते ये चेहरे हैं ,
उनकी बातों के निशान बहुत गहरे हैं ||