STORYMIRROR

Shanti Gurav

Romance

4  

Shanti Gurav

Romance

शायद फिर मिले वह अजनबी

शायद फिर मिले वह अजनबी

1 min
296

रिमझिम होने लगी बरसात,

याद आने लगी वह सुहानी रात।


वह थी बरसात की एक रात

जब हुई हमारी पहली मुलाकात।


भीगी सहमी- सी खड़ी थी पेड़ के पास,

तुम भी भीगे हुए आकर रुके मेरे पास।


देखा तुमने मुझे नजर उठाकर,

मेरी पलके झुक गई शरमाकर।


तुम्हारी मुस्कुराहट ने जादू कर दिया,

जैसे मुझे कोई मीत मिल गया।


अनजान होकर भी अपने से लगे,

इस दुनिया से बिल्कुल अलग से लगे,


आँखों ही आँखों में कईं बातें हुई,

दिल की धड़कन कई बार बढ़ गई।


शायद इसे ही कहते हैं पहली नजर का प्यार,

जहाँ दिल धड़कते हैं और आँखें करती है इकरार।


बहुत कुछ पूछना कहना था,

पर शर्म का पर्दा गिरा हुआ था।


 बस फिर बरसात रुक गई,

 दिल की बातें दिल में ही रह गई। 


हम तुम अपने-अपने रास्ते चले गए,

हम सिर्फ यादों के सहारे रह गए।


 अब उस बरसात का है इंतजार,

 शायद मिल जाए वह अजनबी एक बार।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance