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Shanti Gurav

Others

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Shanti Gurav

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बचपन के छुट्टियों के दिन

बचपन के छुट्टियों के दिन

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हुई परीक्षा खत्म आए छुट्टियों के दिन,

गई परेशानी, अब बस खुशियों के पलछिन।

बच्चे पूरा दिन धमाचौकड़ी मचाते,

इधर-उधर घूमकर नाचते-गाते मौज उड़ाते ।

नाना- नानी दादा- दादी का प्यार बरसता,

आइसक्रीम, पिज़्ज़ा, बर्गर खूब भाता।

बेमौसम शिकायत ना सर्दी- खाँसी की होती,

ना बेमतलब पेट में गड़बड़ी मचती।

मन में बस यही बात मचाती शोर,

ये दिन माँगे मोर ।

पूरा दिन टीवी चलता रहता,

रेडियो पड़ा बस शोर मचाता।

किसी को ना कोई शिकायत होती,

घर-घर में बस यही कहानी होती।

थोड़े से ही होते थे बस ये छुट्टियों के दिन,

पर होते थे बच्चों की खुशियों के दिन ।


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