बचपन के छुट्टियों के दिन
बचपन के छुट्टियों के दिन
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हुई परीक्षा खत्म आए छुट्टियों के दिन,
गई परेशानी, अब बस खुशियों के पलछिन।
बच्चे पूरा दिन धमाचौकड़ी मचाते,
इधर-उधर घूमकर नाचते-गाते मौज उड़ाते ।
नाना- नानी दादा- दादी का प्यार बरसता,
आइसक्रीम, पिज़्ज़ा, बर्गर खूब भाता।
बेमौसम शिकायत ना सर्दी- खाँसी की होती,
ना बेमतलब पेट में गड़बड़ी मचती।
मन में बस यही बात मचाती शोर,
ये दिन माँगे मोर ।
पूरा दिन टीवी चलता रहता,
रेडियो पड़ा बस शोर मचाता।
किसी को ना कोई शिकायत होती,
घर-घर में बस यही कहानी होती।
थोड़े से ही होते थे बस ये छुट्टियों के दिन,
पर होते थे बच्चों की खुशियों के दिन ।
