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Shanti Gurav

Others

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Shanti Gurav

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जिंदगी

जिंदगी

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सोच रही थी मैं एक दिन जिंदगी क्या है ?

आई मेरी आत्मा से आवाज जिंदगी एक ख्वाब है।

  देखा आसमान में उड़ते खूबसूरत पंछियों को,

  कहा पंछियों ने मुझसे जिंदगी आजाद हैं ।

महक रहा था डाली पर एक फूल सुंदर- सा,

मानो कह रहा हो जिंदगी शहर खुशबू है ।

  भटकते हुए कवि से पूछा मैंने यही,

  कहा उसने जिंदगी एक कल्पना है ।

दो प्रेमी प्यार की दुनिया में खोए हुए थे,

देखकर लगा जैसे मोहब्बत ही जिंदगी है ।

  रंगों में खोए हुए चित्रकार से पूछा तो,

  उसने कहा जिंदगी एक अनोखा चित्र है।

धूल में खेलते बच्चे को देखा तो लगा,

जैसे जिंदगी एक आनंदमय खेल है ।

  पीछे से जोर से खाँसने की आवाज आई,

  गरीब फकीर कह रहा था, जिंदगी एक लाचारी है।

दूर एक जनाजा सज रहा था,

कहा उस बेजान लाश ने जिंदगी मौत की बारात है ।

  चिल्लाकर मैंने अपने ही दिल से पूछा,

  कहा दिल ने खामोश नादान जिंदगी एक अनसुलझी

  पहेली है।


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