STORYMIRROR

Sharda Kanoria

Romance

4  

Sharda Kanoria

Romance

प्रेम दिवानी

प्रेम दिवानी

1 min
398

इश्क इबादत है, तो प्रेम पूजा 

अंतर्मन से बहता अथाह प्यार।

टीका, बिंदी, कर्णफूल, हार,

सजा आल्ता हाथों, हो गई मैं तैयार।

सोलह सिंगार कर फूलों से 

कर रही इंतजार पलकें झुकाय। 


फूलों की खुशबू सी महकती 

चंदा की चांदनी सी बहती

कितना सुंदर रूप मनोहरी।

शरमाई सी सकुचाई सी गौरी।

दिन बीते, सांझ भी गुजरी , 

विरह की अगन तड़पाय।


जोगन बन गई मैं प्रेम दीवानी 

आ जाओ प्रिय अब तो।

इंतजार भी किया न जाय।

खत्म करो यह इंतजार प्रिये

माथे की लट रही बिखर

गजरा भी रहा कुम्हलाय।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance