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Sharda Kanoria

Others

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Sharda Kanoria

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श्री हरी

श्री हरी

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शेष शैया पर बिराजमान हरी,

मंद मंद मुस्काये हैं।

देख अपनी ही लीलाएं सारी,

प्रभु कैसे हर्षाये हैं।


सृष्टि के पालन कर्ता,

अद्भुत इनकी छटायें हैं।

अनेकानेक रूप धरे,

मानव मन को भरमाये हैं।


ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों 

सृष्टि संचालक कहलाये हैं।

मांँ वीणावादिनी, लक्ष्मी, पार्वती संग,

मिल अद्भुत वेद पुराण रचाये हैं।


रूप विराट है, जगत सम्राट है,

गुण इनके हम गाये हैं। 

चारभुजा धारी प्रभु, 

दर्शन हमको भाये हैं।


 कभी राम कभी शाम बन,

 छलिया यह कहलाए हैं।

आततायियों का कर विनाश, 

शांति धरा पर लाये हैं।


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