जन्माष्टमी
जन्माष्टमी
जन्माष्टमी का त्यौहार है आया,
चारों और उत्सव अद्भुत छाया।
जन्म लिया कंस कारागार में,
पल रहे नंदलाला बिरज में।
रात अंधियारी कारी,
जन्मे जब कृष्ण मुरारी।
गीत गा रहे ब्रज वासी,
कान्हा दिखाये लीलाएं सारी।
ब्रज धाम वासी हरषाये,
सब कान्हा से प्रीत दर्शाये।
माखन चोर कान्हा कहलाये,
यशोदा से कान पकड़ाये।
धेनु चराये वन वन जाये,
गोपियों से करें किलोल।
कभी फोड़े मटकी गोपियों की,
तो कभी छुपाये चोली नंदकिशोर।
राधा हो या हो मीरा
कृष्ण को सब प्यारी।
सुदामा संग निभाई मित्रता,
ऐसे थे निराले कृष्ण मुरारी।
कितना रूप सजा मनमोहक,
कान्हा सजा अद्भुत आकर्षक।
गोवर्धन पर्वत उंगली पर उठाय,
तो कभी कालिया नाग से बचाय।
आओ सखियों सब मिल गायें,
जन्म दिवस कान्हा का मनायें।
गली-गली नगर- नगर,
मटकी फोड़ें रास रचायें।
