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Vinita Singh Chauhan

Classics

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Vinita Singh Chauhan

Classics

ढाई आखर प्रेम के....

ढाई आखर प्रेम के....

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एक दूजे को दिल से जोड़ें, प्रेम के ढाई आखर।

दिल का रिश्ता बनता मधुर, जैसे गुड़ व साखर।।

ईश्वर से जुडे़ प्रेम तो, होवे जग पत्थर व कांकड़।

प्रेम से धरा पर हरियाली, नभ पर नीली चादर।।


ढाई आखर प्रेम, प्यार, ईश्क में,

हमेशा होते हैं शब्द अधूरे।

पर मिल कर दो अधूरे,

हो जाते हैं हमेशा पूरे।


ढाई आखर कर्म से , ईश्वर जीवन गढ़ता।

ढाई आखर मर्म से, ममत्व का रिश्ता बनता।

ढाई आखर धर्म से, बीज संस्कार का पड़ता।


प्रेम ही भाव, प्रेम ही संवेदना,

प्रेम से ही उपजते विचार।

प्रेम ही दवा, प्रेम ही मरहम,

प्रेम ही हर दर्द का उपचार।

प्रेम ही आतिथ्य, प्रेम ही संस्कार,

प्रेम से ही जूठे बेर किये स्वीकार।

प्रेम सतरंगी, प्रेम ही प्रकाश,

प्रेम में उर्जा व शक्ति अपार,

प्रेम ही उपहार, प्रेम ही मधुमास,

प्रेम ही बासंती बगिया की बहार।

ढाई आखर प्रेम, प्यार, ईश्क में,

हमेशा होते हैं शब्द अधूरे....


प्रेम परमात्मा में हो कर लीन,

मानव के लिए खोलता मोक्ष द्वार।

दो प्रेम मिले तो , संपूर्ण जीवन सार।

दो दिल मिले तो, हो जीवन की संवार।

दो मन मिले तो, बने संपूर्ण विचार।

दो डगर मिले तो , कर ले लक्ष्य पार।

ढाई आखर प्रेम, प्यार, ईश्क में,

हमेशा होते हैं शब्द अधूरे......


प्रेम ही पूजा, प्रेम ही तीर्थ ,

प्रेम पवित्र पावन गंगा की धार।

प्रेम है आरती, प्रेम ही कीर्तन,

प्रेम है सुर राग की झंकार।

प्रेम शीतल भोर की लाली,

प्रेम है सांझ की ठंडी बयार।

प्रेम है सच्चा, प्रेम है खरा,

प्रेम को लो अंतर्मन में उतार।

प्रेम में गहराई, प्रेम में नभ की ऊंचाई,

प्रेम ही है वसुंधरा का विस्तार।

प्रेम है बुद्धि, प्रेम ही शुद्धि,

प्रेम हृदय में लेता आकर।


ढाई आखर प्रेम, प्यार, ईश्क में,

हमेशा होते हैं शब्द अधूरे।

पर मिल कर दो अधूरे,

हो जाते हैं हमेशा पूरे।



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