श्रीराम गुण- गान
श्रीराम गुण- गान
क्रौंच - वध को देख
करुणा विह्वल हुए ऋषि वाल्मीकि,
तमसा नदी के तीर पर
निकल पड़े हृदय से श्लोक।
शोक से पीड़ित हुए महर्षि
कैसे शान्त हो यह जलन,
आये लोक कर्ता ब्रह्मा
कहा करें राम का गुणगान।
वे दिव्य पुरुष हैं उनके
गुण गाओ ,हो जायेगी
हृदय में शीघ्र शान्ति,
और सफल होगी लेखनी।
जैसा तुमने नारद से सुना था
राम की मनोरम कथा लिखो,
जब तक नदी पर्वतों की सत्ता रहेगी
रामायण कथा लोक में प्रचरित रहेगी।
वाल्मीकि ने राम गुण गाये
और लिख डाली पूरी रामायण,
जिसके पदों में माधुर्य है
और अर्थ में है प्रसाद गुण।
जिसमें सीता की है विरह-व्यथा
राज रानी होकर भी वन जाना पड़ा,
उनकी पीड़ा को वाणी दी वाल्मीकि ने
अग्नि को समर्पिता हुई सीता।
दी अपनी पवित्रता की साक्षी
फिर भी अन्त में वनवास हुआ,
फिर धरती में समायी सीता
सौंप दिये दोनों पुत्र श्रीराम को।
वाल्मीकि ने क्रौंचवध की व्यथा
सीता वन वास में देखी,
पूरी रामायण में यही व्यथा समायी है
और राम का अद्भुत गुणगान है।
इक्ष्वाकु वंश प्रभव राम
महावीर्य द्युतिमान धृतिमान्,
जितक्रोध आत्मवान् विद्वान्
सर्व भूत हितकारी प्रियदर्शन।
बुद्धिमान् नीतिवान् वाग्मी
महाबाहु विशालाक्ष यशस्वी,
सत्यसंध जितेन्द्रिय धर्मज्ञ
गुणवान् सत्यवाक्य कृतज्ञ।
गॉंभीर्य में समुद्र समान
धैर्य में हिमालय समान,
क्रोध में कालाग्नि के समान
क्षमा में पृथिवी के समान।
उत्तम गुणसम्पन्न सत्यपराक्रम
पितुवचन गौरवात् वन गमन किया,
रामदयिता सर्वलक्षणसम्पन्ना
सीता भी राम की अनुगता हुई।
सुबन्धु लक्ष्मण ने भी अनुसरण किया
रमणीय पर्णकुटी में निवास किया,
फिर दंडकारण्य में प्रवेश किया
खर दूषण त्रिशरा का रण में घात किया।
रावण ने सीता का अपहरण किया
तो समुद्र में सेतु बना रावण नाश किया।
पुष्पक विमान से अयोध्या पहुँचे
और अपने राज्य को प्राप्त किया।
पुण्यपयी पवित्र रामकथा लिख
महर्षि वाल्मीकि कृतकृत्य हुए,
सर्वश्रुति मनोहर चरित्र राम का है
सौम्यभाव, क्षमा, लोकप्रियता राम की है।