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Sharda Kanoria

Tragedy

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Sharda Kanoria

Tragedy

वेदना

वेदना

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प्रभु राह दिखा दो..

वेदना यह सही न जाए

सतत नयनों से नीर बहता 

 कैसे सहूं कुछ ना समझाय।

 

मैं कोई सीता नहीं

रानी बन कंटक जीवन जीयूं

मैं कोई राधा भी नहीं

कृष्ण वियोग में पलकें भिगोऊं।

इतना संयम कहां से पाऊं...

हे प्रभु राह दिखा दो...


पग पग पर कांटे बिछे,

डगर डगर मुश्किलें।

काले स्याह बादल घिर आये,

मन मस्तिष्क सूना हुआ जाये,  

 अर्जुन सी मुझे... 

 हे प्रभु राह दिखा दो....


कालचक्र के इस पथ पर,

कर्तव्य भाव के इस पथ पर, 

 रेगिस्तान की तपती धूप सा,

 तड़पता असह्य वेदना सहता,

 अपनी कृपा दृष्टि बरसा दो... 

 हे प्रभु राह दिखा दो....


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