दिल तोड़ के लोग करते हैं बहाना, कुछ ऐसा ही है, ये ज़ालिम ज़माना । दिल तोड़ के लोग करते हैं बहाना, कुछ ऐसा ही है, ये ज़ालिम ज़माना ।
अपने भीतर बस ऐसा बदलाव चाहती हूँ। अपने भीतर बस ऐसा बदलाव चाहती हूँ।
अपने-अपने सब कृत-कृति में रमे हुए हैं हत्यारे अपने-अपने सब कृत-कृति में रमे हुए हैं हत्यारे
सीता की अग्निपरीक्षा का खेल गर्भ से शुरू हो जाता है। सीता की अग्निपरीक्षा का खेल गर्भ से शुरू हो जाता है।
मजबूर थी यह सोचने के लिए कि आखिर नारी की यह अग्नि परीक्षा कब तक। मजबूर थी यह सोचने के लिए कि आखिर नारी की यह अग्नि परीक्षा कब तक।
बादल भी अब मचल रहा, आँखों में छा जाने को ! बादल भी अब मचल रहा, आँखों में छा जाने को !