स्वावलंबी, महत्वाकांक्षी, भावुक, सत्यप्रेमी और परसेवा परम धर्म.... और भी बहुत....
तब से मैंने संकल्प किया कि जीवन में मैं क्रोध से दूर रहूंगी और खुद को खुश रखूंगी। तब से मैंने संकल्प किया कि जीवन में मैं क्रोध से दूर रहूंगी और खुद को खुश रखूंगी...
वो अंकल मेरे उतरने से पहले ही उतर चुके थे। मैं उन्हें आज भी याद करती हूँ। वो अंकल मेरे उतरने से पहले ही उतर चुके थे। मैं उन्हें आज भी याद करती हूँ।
मैं भावुक प्रवृत्ति की होते हुए भी अत्यधिक क्रोध करती हूँ। मेरे पिता जी के देहांत के बाद मेरे सोचने ... मैं भावुक प्रवृत्ति की होते हुए भी अत्यधिक क्रोध करती हूँ। मेरे पिता जी के देहां...
और दूसरा खत यह खत मैंने दसवीं परीक्षा के बाद लिखीं थी और दूसरा खत यह खत मैंने दसवीं परीक्षा के बाद लिखीं थी
मैं और मेरे सपने मैं और मेरे सपने
मेरा जन्मस्थान और मेरी यादें मेरा जन्मस्थान और मेरी यादें
दीदी पहले तो सोचती थी कि शायद खाना पचा नहीं होगा, इसलिए बाबू खाना नहीं खा रहा है। लेकिन इशु को शक हु... दीदी पहले तो सोचती थी कि शायद खाना पचा नहीं होगा, इसलिए बाबू खाना नहीं खा रहा है...
अपनी खुशी को पाने लगी थी, और धीरे-धीरे मुझे मेरा सुकून मिल रहा था। अच्छा लग रहा था कि मैं भी लिख सकत... अपनी खुशी को पाने लगी थी, और धीरे-धीरे मुझे मेरा सुकून मिल रहा था। अच्छा लग रहा ...
बचपन से ही दीदी को सबके लिए सोचते हुए देखा था और अपने जीवन पर ध्यान न देते हुए भी वह पूरे परिवार को ... बचपन से ही दीदी को सबके लिए सोचते हुए देखा था और अपने जीवन पर ध्यान न देते हुए भ...
और शादी से अच्छी नौकरी प्राप्त करके अपने परिवार का सपना भी पूरा कर रही हूँ। और शादी से अच्छी नौकरी प्राप्त करके अपने परिवार का सपना भी पूरा कर रही हूँ।