स्वावलंबी, महत्वाकांक्षी, भावुक, सत्यप्रेमी और परसेवा परम धर्म.... और भी बहुत....
Share with friendsतब से मैंने संकल्प किया कि जीवन में मैं क्रोध से दूर रहूंगी और खुद को खुश रखूंगी।
Submitted on 22 Dec, 2019 at 16:39 PM
वो अंकल मेरे उतरने से पहले ही उतर चुके थे। मैं उन्हें आज भी याद करती हूँ।
Submitted on 22 Dec, 2019 at 16:19 PM
मैं भावुक प्रवृत्ति की होते हुए भी अत्यधिक क्रोध करती हूँ। मेरे पिता जी के देहांत के बाद मेरे सोचने - समझने की क्षमता जै...
Submitted on 21 Dec, 2019 at 03:42 AM
दीदी पहले तो सोचती थी कि शायद खाना पचा नहीं होगा, इसलिए बाबू खाना नहीं खा रहा है। लेकिन इशु को शक हुआ कि क्या कारण है? ज...
Submitted on 16 Dec, 2019 at 16:32 PM
अपनी खुशी को पाने लगी थी, और धीरे-धीरे मुझे मेरा सुकून मिल रहा था। अच्छा लग रहा था कि मैं भी लिख सकती हूँ। इसके सहारे मै...
Submitted on 16 Dec, 2019 at 15:50 PM
बचपन से ही दीदी को सबके लिए सोचते हुए देखा था और अपने जीवन पर ध्यान न देते हुए भी वह पूरे परिवार को देखने को एकजुट कर के...
Submitted on 07 Dec, 2019 at 18:31 PM
और शादी से अच्छी नौकरी प्राप्त करके अपने परिवार का सपना भी पूरा कर रही हूँ।
Submitted on 06 Dec, 2019 at 16:58 PM
बच्चों की कहानीयां भी बडी मनलुभावन होती है... ऐसी ही यह एक कहानी है... छोटीसी चिडिया की...
Submitted on 04 Dec, 2019 at 16:54 PM
प्यार कैसे होता है? कब होता है और उसके लिए कौन - समय निर्धारित किया गया है? ये सब प्रश्
Submitted on 03 Dec, 2019 at 12:48 PM
हम सब की सोच अच्छी होनी चाहिए। जिससे हम कोई भी ऐसा काम न करें जिससे किसी को किसी भी प्रकार की तकलीफ़ हो और हमें अपने ख्...
Submitted on 29 Nov, 2019 at 03:02 AM
वहीं एक किनारे अपनी ज़िम्मेदारियों के बोझ को अपने कंधों पर लिए आज भी खड़ा था
Submitted on 26 Nov, 2019 at 19:56 PM
”आंटी! आप को अटैक आया है... मुझे फोन आया था, पर आप तो बिल्कुल ठीक है ईश्वर की दुआ है पर ये झूठ क्यों बोला?”
Submitted on 26 Nov, 2019 at 03:08 AM
डाक्टर सुचि जब आप्रेशन थियेटर से बाहर आयी तब उनके चेहरे पर एक माँ को जीताने की खुशी थी
Submitted on 20 Nov, 2019 at 17:47 PM
माँ पता नहीं क्यों अन्वी कहती हैं कि आप और पापा जी उसे कम प्यार करते हो
Submitted on 19 Nov, 2019 at 17:02 PM
"वसुधैव कुटुम्बकम " को सार्थक रूप से प्रमाणित करने वाली एक गाथा पढ़िए।
Submitted on 19 Nov, 2019 at 16:29 PM
यही सोच-सोच कर वो उस लाल बत्ती के पास भीख मांगने चली जाती थी।
Submitted on 16 Nov, 2019 at 11:19 AM