Shikha Singh
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स्वावलंबी, महत्वाकांक्षी, भावुक, सत्यप्रेमी और परसेवा परम धर्म.... और भी बहुत....

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अगर जन्म है...... तो मृत्यु भी है फिर सुख-दुख जीवन का अंग है और यह सृष्टि का शाश्वत सत्य है शिखा सिंह भारद्वाज

सच्चाई पर जो उतरा वो खरा कौन है? झूठ के कायदों के नीचे अब मरा कौन है? कौन है ज़िन्दगी के रफ़्तार को बढाने वाला अपने ही सवालों में फसा वो दूसरा कौन है? शिखा सिंह भारद्वाज

मेरी ज़िंदगी की बहार मेरा परिवार है मेरी बंदगी बेशुमार... मेरा परिवार है मेरा परिवार ही तो.... मेरी ताकत है इस जीवन का आधार मेरा परिवार है शिखा सिंह भारद्वाज

ज़िंदगी को हमने भुला दिया ख्वाहिशों को अपने सुला दिया सुबह से शाम तक, शाम से सुबह तक सभी को हमने सुबह का भुला बना दिया शिखा सिंह भारद्वाज

अंधेरे से बने आशियाने में तेरे चेहरे की दमक तेरे आँखों की चमक जैसे लालबत्ती हो.. शिखा सिंह भारद्वाज

ऐ ज़िन्दगी... तेरे लाखों दर्द को हमने ख्वाहिशों के फूल बनाकर मरहम के रंगों से रंग लिया है शिखा सिंह भारद्वाज

सुनसान राहों को हम सजाते रहे उनके सजदे में सिर को झुकाते रहे दर्द-ए-दास्तां लिखने बैठ ही थे हम कि हमें देख वो से फिर मुस्कुराते रहे शिखा सिंह भारद्वाज

मैं जलती विरह अगन में तू......... एक ठिकाना है जीवन की मीठी छांव में तू......... बना दिवाना है शिखा सिंह भारद्वाज

ये इश्क नहीं आसान आग का...... दरिया है पल-पल ही तड़पना है फिर इसमें डूब जाना है शिखा सिंह भारद्वाज


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