मेरी नौकरी
मेरी नौकरी
मुझे जीवन को जीना था।
मैं उसे जानना चाहती थीं। उसे पहचाना थीं, समझना थी, और उसके लिए चाहिए था हिम्मत। जो मेरे पास था नहीं। मैं दूसरो की तरह नौकरी करना चाहती थी, लेकिन उसके लिए पढाई करना जरूरी है। पर पढाई करके अच्छे नंबर कहाँ से आएगा।
मैं कहूँ तो जीवन बहुत खेल दिखाती हैं और बड़ी दीदी के शादी के बाद मेरी शादी के लिए लडके देखे जाने लगे, पर कोई रिश्ता सही बैठता ही नहीं, तो मन उदास हो चला था। अचानक मुझे अपने अम्मा और पापाजी के साथ गांव जाना पड़ा और मेरी ज़िंदगी जैसे थम सी गई थी।
लेकिन मैंने अपने जीवन का लक्ष्य नौकरी करना था। मैं उसके लिए स्कूल में शिक्षिका बनने के लिए स्कूल - स्कूल भटक-भटक कर एक स्कूल में मुझे नौकरी मिल गयी। और मैंने अपने जीवन को अच्छा बनाने की ठान ली थी। और शादी से अच्छी नौकरी प्राप्त करके अपने परिवार का सपना भी पूरा कर रही हूँ।