पप्पी की छोटी बहन
पप्पी की छोटी बहन
सच कहूँ..... तो मैं सपने बहुत देखती हूँ। आज से ही नहीं बचपन से.... और वो भी हर रोज़। पता है अगर मैं अपने सपनों को एक जगह संग्रहीत करके रखने लगती न तो न जाने अब तक कितनी ही पुस्तकें मेरे नाम से छ्प चुकीं होती.... न जाने कितने फिल्म बन गए होते। मुझे पता है कि - आप पढ़कर हँसेंगे, लेकिन यह सत्य है, कि मैं अजीबोगरीब सपने देखती थी और आज भी देखती हूँ। मेरे सपनों में हमेशा अलग-अगल कहानी होती है। कभी मैं किसी को मारती हूँ। तो कभी किसी को बचाती हूँ। कभी-कभी तो मैं तब तक आँखें खोल नहीं पाती जब तक सपने से बाहर निकल न आऊँ। एक मजे की बात बताऊँ कि अगर मैं किसी सपने को पूरा नहीं देख पाती तो वह सपना मुझे महीने दो महीने में या साल बाद फिर से दुबारा दिख जाता है और पूरा भी हो जाता है। मुझे ये सोचकर अज़ीब लगता है।
इसी तरह मैं जब दूसरी कक्षा में पढ़ती थी। तब मेरे कालोनी की सहेली पप्पी की छोटी बहन गाँव से आई थी। जो बहुत सुंदर और प्यारी-सी थी, लेकिन गर्मी की छुट्टियों के बाद वो गाँव से नहीं आई, और पप्पी से पूछने पर उसने कुछ बताया भी नहीं। खैर मैं छोटी थी और समय के साथ भूल गयी।
आठवीं की परीक्षा के बाद मैं गाँव गयी थी और एक रात मेरे सपने में वो आई (पप्पी की बहन)। मैं सपने में उसके साथ खेल रही थी और तभी मैंने उससे पूछा कि तुम कहाँ चली गई थी। तो उसने बताया कि - 'उसके गाँव में किसी ने उसे नज़र लगाकर साँप से कटवाकर मरवा दिया।' अचानक मेरी नींद खुल गई और यह सपना मैं ने अपने घर में सभी को बताया। सभी ने डाट लगायी और कहा कि - बस फालतू के सपने देखती है। इसको दूसरा कोई काम नहीं है। ' अम्मा से भी पूछा तो अम्मा ने कहा - जो सपना देखी हो वो सच है, क्योंकि वो ऐसे ही मरी थी। और आज के बाद भगवान का नाम लेकर सोया करो।
मुझे कभी-कभी खुद पर आश्चर्य होता हैं, कि मैं ऐसी क्यों हूँ।