क्यों
क्यों
कहते हैं एक स्त्री दूजी स्त्री की वेदना समझती है
तो क्यों सास बहू के किस्से सारी दुनिया कहती है
पितृसत्ता के नियम क्यों औरत कायम रखती है
जो सहती रही अत्याचार क्यों नही बगावत करती है
क्यों नहीं उठ खड़ी होती स्त्री जब दहेज दानव सर उठता है
क्यों देती है पुरुष का साथ जब बेटा पत्नी पर हाथ उठाता है
सड़कों पर दुर्व्यवहार, घर में भेदभाव व्यभिचार
बस बातों के संस्कृति संस्कार, बुरा लगे जो करे प्रतिकार
क्यों सीता हर एक युग में धरती की गोद में समाये
क्यों दोगले नियमों में जलती सती राख हो जाये।
शिक्षित समाज का प्रपंच कन्या को शिकार बनाता है
सीता की अग्निपरीक्षा का खेल गर्भ से शुरू हो जाता है।