कुछ और बातें तुम बोला करो..
कुछ और बातें तुम बोला करो..
कुछ और बातें तुम बोला करो
हम सुनने तो तैयार बैठे हैं,
क्या पता वो काम कर जाएगा
जो आस भी छोड़ बैठे हैंं।
कुछ और बातें तुम बोला करो
हम सुनने तो बैठे हुए हैं.....
वो जो सब बीत गया यहाँ
सारे अब पुराने हो गए हैं,
उसे कियूँ अब याद दिलाते हों
जिसे भूलने हम तो लगे हैं।
कुछ और बातें तुम बोला करो
हम सुनने तो बैठे हुए हैं.....
ये लफ्ज भी कितने अजीब हैं
दिल को जब छू लेते हैं,
अपनी आदओं से मजबूर कर देता
दिए हुए दर्द बहुत तड़पाता है।
कुछ और बातें तुम बोला करो
हम सुनने तो बैठे हुए हैं...
कुछ वादे तुम न किया करो
वादे तो सब टूट जाते हैं,
कुछ होने से पहले अब तो
उम्मीदें भी साथ छोड़ देते हैं।
कुछ और बातें तुम बोला करो
हम सुनने तो बैठे हुए हैं.....
अब तो हम बैठे इन्तेजार मे
कुछ और बातें भी सुनना है,
जो हमारे सोच को बदल दे
उम्मीदें को फिर से जगाना है।
कुछ और बातें तुम बोला करो
हम सुनने तो बैठे हुए हैं.....