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Debasish Dikshit

Abstract

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Debasish Dikshit

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ऐ जिंदगी आना कभी अकेले में

ऐ जिंदगी आना कभी अकेले में

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ऐ जिंदगी रूठना मत

कुछ छुपा के रखा मैने 

आना कभी अकेले में 

कुछ दर्द से बेहतर 

कुछ प्यार से भी कमजोर 

अब कोशिश नहीं कर सकता तुझे मनाने में 

ऐ जिंदगी आना कभी अकेले में। 


श्याम ढल जाए चांद अपना नूर ले आए 

उसे पहले तुम आजाना 

तुझसे महब्बत ऐ इसीलिए 

आने का बुलावा दे सकता हूँ 

हक अदा नहीं कर सकता 

ऐ जिंदगी आना कभी अकेले में। 


माना कि दर्द तुझे पसंद है 

और उससे कबूल करना 

मेरा प्यार का अंदाज ऐ 

फिर भी सब कुछ भूल कर आना 

मेरे प्यार से वाकिफ करवाऊंगा 

मेरे दर्द से दोस्ती करवाऊंगा 

ऐ जिंदगी आना कभी अकेले में। 


तुझसे प्यार करना नहीं छोड़ सकता 

प्यार करना छोड़ दूँ 

तो ज़िन्दा कैसे रह सकता 

माना कि प्यार का अंदाज अलग है 

कोई दर्द देकर प्यार करता है 

कोई दर्द से प्यार करता है 

फिर भी वो सह कर भी 

एक ख्वाहिश ये मेरी 

ऐ जिंदगी आना कभी अकेले में। 


आना कभी अकेले में 

जब दर्द दर्द नहीं रहेगा 

जब प्यार प्यार नहीं रहेगा 

एक अलग ही एहसास होगा 

जो सिर्फ तेरे और मेरे बीच में रहेगा 

ये हवाएं 

ये रोशनी 

ये लहर 

ये पल 

सब कुछ मेरा साथ देगा 

तुझसे बात करने की इजाजत देगा 

उस वक्त सिर्फ और सिर्फ मेरा होगा 

ऐ जिंदगी आना कभी अकेले में।

  


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