कारगिल युद्ध
कारगिल युद्ध
शहादतों का एक ऐसा दौर चला था।
हर एक शूरवीर भारत मां की रक्षा में खडा था।
खाई थी उन्होंने गोलिया, धरा पर ख़ून बहा था।
थी वो कारगिल की गर्मीयो की सर्द रातें,
जब पारा माइनस 20°C से नीचे गिरा था।
पाकिस्तानी कब्जा करके बैठे थे हमारी जमीन पर,
हमारा हर सैनिक फौलाद की तरह लड़ा था।
जहां रक्त जम कर बर्फ बन जाये,
वहां वीरों का खोलता लहू दुश्मनों पर भारी पड़ा था।
कैसे भूलेंगे कुर्बानी उन वीरों रणकुवारो की,
चढ़ गये 90° की खड़ी चट्टानों पर,
टूट पड़े जो बनकर महाकाल उन शैतानों पर।
ना ही डरे वो गोलियों के प्रहारो से,
और नाहि हिम्मत डगमगाई।
भारतीय सेना के पराक्रम का वृतांत जानते हैं सभी ,
सुनेगा युग सदियों तक इन योद्धाओं की कहानी।
मृत्यु भी इन वीरों को शान से लेने आयी,
देख इन शेरों की दहाड़ वो भी घबराई।
देख शोर्य मां भारती के बेटों का,
उसकी भी आंखें भर आयी।
मौत ने भी कहा धन्य है मां भारती ,
जो ऐसे बेटों को तुमने पाया।
अब मैं इन बेटों को अपने साथ ले जाती हूं,
इन वीरों का वर्णन में सबको सुनाती हूं।
लडे है वो ठंडी रातों मे, शत्रुओं की रुह भी थर्रा गयी।
देख तांडव वीरता का कालगाति भी गड़बड़ा गयी।
वीरगति को प्राप्त हुये मां भारती के लाडले,
मरते-मरते भी एक एक दस पर भारी पड़ा था।
था ये कारगिल युद्ध जो भारतीय सेना ने,
हिमालय की ऊंची चोटियों पर लड़ा था।
