मैं
मैं
समुंदर हूं मैं,
ऐसे हाथों में,
यूं, मैं भर नहीं सकता।
तूफानों की कश्ती हूं मैं,
ऐसे छोटी-मोटी आंधियों से,
यूं , मैं डर नहीं सकता।
चट्टान हूं मैं,
ऐसे छोटे-मोटे वारो से,
यूं , मैं बिखर नहीं सकता।
रहस्य हूं मैं,
ऐसे सब के लिए,
यूं , मैं दिल खोलकर रख नहीं सकता।
