एक विषय पर कविता...। एक विषय पर कविता...।
रस छंद का भाव हमेशा मेरी कविता मे नही रहता है । रस छंद का भाव हमेशा मेरी कविता मे नही रहता है ।
सितारों की महफ़िल में बदनाम हो गये ! लोग तो आफ़ताब कभी चाँद समझने लगते मगर हम नाम लिखकर भी गुमन... सितारों की महफ़िल में बदनाम हो गये ! लोग तो आफ़ताब कभी चाँद समझने लगते मगर ह...
'भोलूराम ' तो चल दिये मुझे ऊपर से नीचे झाड़कर । उनके इस भाषण पर दोस्तों मैनें लिखी ये कविता 'कवि ... 'भोलूराम ' तो चल दिये मुझे ऊपर से नीचे झाड़कर । उनके इस भाषण पर दोस्तों मैनें...
पाप का भागी कौन है यह कहना तो मु्श्किल है । पाप पुण्य भी समझ न आये भेदभाव कुछ समझ न आये । पाप का भागी कौन है यह कहना तो मु्श्किल है । पाप पुण्य भी समझ न आये भेदभाव कुछ...
कवि कैसा चोर-सा होड़-सा और मोर-सा कवि कैसा चोर-सा होड़-सा और मोर-सा