मै अपनी बात सन 1070 से शुरु करता हूँ जब मैं गणित साइस विषय लेकर पास हुआ था पालीटेकनिक करना चाहता था एडमीशन भी हुआ था मगर पैसो के अभाव मे नही हो पाया उपन्यास पढ़ने का शौक था एक उपन्यास लिखा उसी दौरान आई टी आई में प्रवेश मिल गया उसी दौरान आर पी एफ में नौकरी लग गई प्रशिक्षण के दौरान दूसरा... Read more
मै अपनी बात सन 1070 से शुरु करता हूँ जब मैं गणित साइस विषय लेकर पास हुआ था पालीटेकनिक करना चाहता था एडमीशन भी हुआ था मगर पैसो के अभाव मे नही हो पाया उपन्यास पढ़ने का शौक था एक उपन्यास लिखा उसी दौरान आई टी आई में प्रवेश मिल गया उसी दौरान आर पी एफ में नौकरी लग गई प्रशिक्षण के दौरान दूसरा उपन्यास भी लिखा कवितायें भी लिखता रहा पेपरों में छपने लगी हौसला बढा 1991में पहला काव्य सग्रह ।।मौसम के रंग ।। प्रकाशित हुआ खाकी बर्दी की नौकरी थी बहुत संघर्ष किया फरवरी 2012 में रिटायर हो गया फिर कविताये लिखना जारी रखा पेपर पत्रिकाऔ में छपती रही । 24/1/2017 को जबलपुर वि विद्यालय द्वारा पहला सम्मान मिला दिनाक 10/12/2018 तक 22 माह में कुल 54 सम्मान मिल चुके है जो देश के नौ प्रदेशो से मिले है इसी समय के दौरान 1848 कविताये लिखी है व देश के वाटशप मंचौं पर डाली है ।यूट्यूब फेसबुक में मेरी कवितायें व लिंक लगातार प्रसारित हो रहे है । पाँच काव्य सग्रह भी प्रकाशित हो चुके है ।ममतामयी माँ व सुनहरा कल 2017 में ।बेटी व माता पिता 2018 में प्रकाशित हुये है बुन्देली कविताओ की एक कृति भी है । निबंध, कहानी,लेख लघुकथा भी लिखी है ।जबलपुर शहर की प्रत्येक रविवार को काव्य गोष्ठियों में काव्य पाठ करता हूँ इस तरह साहित्य सफर जारी है जारी रहेगा ।
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