बहुत ही छोटा
बहुत ही छोटा
बहत ही
छोटा सा
कवि हूँ ।
मन मे जो
आ जाये ।
सरल भाषा
मे लिख
देता हूँ ।
शव्दो को
चुन चुनकर
कुछ
जोड़ तोड़
कर लिख
देता हूँ ।
गलती भी
हो जाती है ।
हाथ जोड़कर
माफी मांग लूं
बस इतना ही
कर सकता हूँ ।
धन्यवाद और
बधाइयाँ भी
मिल जाये
तो अच्छा है
न मिले
फिर भी
लिखता
रहता हूँ ।
यही देश
सेवा मेरी है
कुछ तो
करता
रहता हू
टांग खीचने
वालो से
बहुत ही
डर लगता है ।
रस छंद का
भाव हमेशा
मेरी कविता
मे नही रहता है ।