फिर कब मिलेंगे?
फिर कब मिलेंगे?
ये सुंदर मौसम और ये हसीन नज़ारा,
हमने गाया था यहाँ प्यार भरा तराना,
ये मधुर पलों को मैं भूल सकता नहीं,
फिर कब मिलूंगा यह कह सकता नहीं।
ये तेरा सितारों की तरह चमकता चेहरा,
तेरे नैनों से ज़ाम छलकता था सुनहरा,
ये छलकते ज़ाम को मैं भूल पाऊंगा नहीं,
फिर कब मिलूंगा यह कह सकता नहीं।
ये सावन की घटा में हमारा प्यार करना,
तुझे बांहों में सिमटकर मदहोशी में डुबाना,
ये मधुर मिलन को मैं भूल पाऊंगा नहीं,
फिर कब मिलूंगा यह कह सकता नहीं।
ये शरद की रात में तुझको मिलने आना,
मेरी "मुरली" की धुन में तुझे मग्न बनाना,
ये प्यार की धुन को मैं भूल पाऊंगा नहीं,
फिर कब मिलूंगा यह कह सकता नहीं।

