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अनूप अंबर

Drama Romance Classics

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अनूप अंबर

Drama Romance Classics

ख्वाब

ख्वाब

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ख्वाब आंखों में सजाए हमने,

फिर क्यूं आंसू सिर्फ पाए हमने।

मुझको ही अंधेरा क्यूं मिला बोलो,

सबके दीप तो हरपल जलाए हमने।।


ख्वाब सजाना कोई गुनाह है,

फिर क्यूं ये दर्द पाए हमने।

हम तो फूलों ही बांटते रहे सदा,

फिर कांटे क्यूं पाए है भला हमने।।


मुहब्बत करते थे तुमसे बहुत,

फिर तुमको गंवा आज हमने।

आरजू थी तेरे बाहों की पनाहें हो,

अब तो नजर फेर ली है तुमने।।


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