अंधविश्वास के बदल
अंधविश्वास के बदल
अंधविश्वास के घने बादल छाए हैं
उम्मीद की किरण नजर नही आती है ।
हम इक्कीस सदी में भी इससे,
देखो !अब मुक्ति न मिल पाती है ।।
चांद पर पहुंच चुका है मानव,
हर पल कदम बढ़ा रहा है ।
विज्ञान हर दिवस सच से
अब अवगत हमें करा रहा है।।
फिर कौन यहां अंधविश्वास का,
पाखंड को फैला रहा है ।
प्रगतिशील देश की राह में,
अब अवरोध सम्मुख ला रहा है ।।
