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अनूप अंबर

Drama Others

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अनूप अंबर

Drama Others

मंजिल पे कदम हम बढ़ाते रहे

मंजिल पे कदम हम बढ़ाते रहे

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गिराने वाले तो मुझको गिराते रहे,

हर कदम पर मुझको आजमाते रहे ।

पांव के छालों का दर्द भूलकर,

मंजिल पे कदम हम बढ़ाते रहे ।।


वो नफरत की आंधी चलाते रहे,

हम मुहब्बत जहां की लुटाते रहे ।

जख्म देने वाले दर्द देकर गए,

हम दर्द सह कर भी मुस्कुराते रहे ।।


दर्द के सिवा कुछ नहीं जिंदगी में,

दर्द को मरहम हम बनाते रहे ।

जिनको दिल में बसाया था हमने,

वो ही घर को मेरे अब जलाते रहे।।



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