कांटों पर भी चले है हम
कांटों पर भी चले है हम
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कांटों पर भी चले है हम,
मुश्किल से भी घिरे है हम
फिर भी हिम्मत तजी न हमने,
गिर गिर कर भी चले है हम।।
सूरज कभी न रुकता है,
मौसम भी बदलता रहता है।
दरिया को देखा गौर से,
वो हर पल बहता रहता है ।।
पांव के छाले पथ रोक रहे थे,
सब दर्द सह कर भी चले है हम।।
कभी रात को उठ जाता हूं,
खुद में ही खो जाता हूं ।
न मंजिल न कोई मिली है,
मैं तो बस चलता जाता हूं ।।
चुनौती मुझको मंजूर सभी,
कब चुनौतियों से मैं घबराता हूं।।
सबने रोशनी ही देखी बस,
हीय के अंदर तक जले है हम ।।
