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अनूप अंबर

Drama Romance

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अनूप अंबर

Drama Romance

वो पत्नी है

वो पत्नी है

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उसका कोई जोड़ नहीं,

वो मेरे आंगन को सजाती है,

पुष्पों की बगिया के जैसे,

मेरे घर को वह महकती है।।


सूना सूना था घर का आंगन,

वो किलकारी उसमें सुनाती है,

उसको पाया तो पूर्ण हुआ,

खुद मां और मुझको पिता बनाती है।।


वो मेरी प्रेरणा मेरी ताकत,

मुझको संकल्पित करती है ।

दोनों एक दूजे के पूरक,

तब गृहस्थी की गाड़ी खिचती है।।


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