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Supriya Devkar

Drama Tragedy

4  

Supriya Devkar

Drama Tragedy

आँखें

आँखें

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मन की आँखें खोलकर

देखो इस दुनिया को जरा 

हर कदम पर अलग नजारा

खुदको बचाए रखना जरा 


यहा हर कोई खुशी चाहे 

अपनी बात को मनवाए

घुटघुट कर जिने से भला

खुद के अस्तित्व को जगाए


उतार दो आखोंकी पट्टी 

समझ जाओ यह मोहमाया 

मिठी वाणी बोलकर लोगोने 

सोचो कैसे तुम्हे है फसाया


अब सभंल जाओ तुम

यहा रूप बदलते है सब 

पता ना चलेगा राहमे

फस गये तुम कब


उठो चेतो खुदको बनाओ 

मजबूत जैसे हो चट्टान

हर मुश्किल को पार करना 

हो जाए तुमको आसान 


रचना है इतिहास अब 

दिखाना है मन का जोश

खुदको साबित करके 

उड़ाने है सबके होश।


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