"हृदय में अफसोस"
"हृदय में अफसोस"
हृदय में मेरे बड़ा ही अफ़सोस है
विश्वास की बुझ गई मेरी जोत है
जिन पर था मुझको भरोसा, बड़ा
उन्होंने दिया मुझको धोखा, बड़ा
विश्वास की खत्म हो गई भोर है
दगाबाज शख्स आज हर ओर है
हृदय में मेरे बड़ा ही अफसोस है
हर आदमी ही यहां पर मुंहजोर है
कैसे लगाऊं यह भोला भाला मन,
हर तरफ ही स्वार्थ का उद्घोष है
क्यों मानता, सबको यहां अपना
इस दुनिया में हर शख्स चोर है
हृदय में मेरे बड़ा ही अफ़सोस है
हर तरफ से यह हृदय खामोश है
स्व सिक्के से निकला जब खोट है
दूसरों को क्या कहूंगा, अब ओर है
आज भोर को यूँ ही निगल गई है,
यह तम की कालरात्रि घनघोर है
दीपक भी बन गया तम स्तोत्र है
हर ओर आज निशाचरों का जोर है
जिनकी मदद की थी मैंने, बेइंतहा,
उन्होंने ही दी मुझे, यहां खरोच है
जिनको मैंने सहारा दिया बहुत है
उन्होंने ही मार दिया मुझे बेमौत है
हवा में भी लगने, लगा अब दोष है
कुछ इंसानों की लगती सर्पगोत्र है
जो दूध पिलाता, उसे डसते रोज है
ऐसे सर्पों को दे, साखी लाठी चोट है
भोलेपन से जो समझे तू कमजोर है
बता दे, बाजुओं में तेरे कितना जोर है
जो भी तोड़े, तेरी यहां विश्वास डोर है
उन पर चला तलवार तू चहुँ ओर है
पहन बालाजी की भक्ति लंगोट है
उन्हें छोड़ हर कोई दगाबाज थोर है
केवल बालाजी पूर्ण परब्रह्म खोज है
उनकी भक्ति कर, मिलेगा संतोष है।