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एक बूंद ज़िन्दगी!

एक बूंद ज़िन्दगी!

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एक बूंद पानी की बनकर

बह चलूं मैं

दे दे इतनी - सी ज़मीन कि

फूल बनकर खिल सकूं मैं

कहने को तो

पूरा जहां है मेरे साथ

फिर भी कुछ नहीं मेरे पास

एक पंछी बनकर

कहीं दूर उड़ चलूंं मैं


दे दे इतनी - सी रोशनी कि

दिल का अंधेरा

दूर कर सकूं मैं

कोई टूटी हुई उम्मीद

अभी भी जैसे कायम है

पलकों में पल रहा

फिर भी सावन है

एक मुस्कान बनकर

फिर से खिल सकूं मैं

दे दे इतनी - सी ज़िन्दगी

कि थोड़ा - सा जी सकूं मैं


वक़्त के साथ

सबकुछ बदल गया

यादों में कैद

हर लम्हा वो रह गया

एक सितारा बनकर

कहीं दूर रहने चलूं मैं

दे दे इतना - सा सुकून कि

आँँखों को राहत दे सकूं मैं...।


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