अफसाना
अफसाना
अक्सर यादों में खो जाते हैं
जज़्बात अधूरे रह जाते हैं
अफसाना है ये कैसा
सबकुछ पाकर भी
कुछ ख्वाब अधूरे रह जाते हैं !
ख्वाहिशों की जंग में ज़िन्दगी हार जाती है
चलते - चलते मंज़िलें बदल जाती हैं
साज़िशें है ये कैसी
माने जिन्हें अपना
वो रिश्ते अधूरे रह जाते हैं
सबकुछ पाकर भी
कुछ ख्वाब अधूरे रह जाते हैं !
दास्ताँ है ये वक़्त कि
कुछ नहीं कायम
फिर क्या है वो जो करने चले मुक्कमल
दूसरों की पहचान में
खुद से बेगाने रह जाते हैं !
ज़िंदगी की दौड़ में
कुछ किस्से अधूरे रह जाते हैं
अक्सर यादों में खो जाते हैं
जज़्बात अधूरे रह जाते हैं
अफसाना है ये कैसा
सबकुछ पाकर भी
कुछ ख्वाब अधूरे रह जाते हैं !