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Bharti Suryavanshi

Drama Others

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Bharti Suryavanshi

Drama Others

शोहरत

शोहरत

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शोहरत जितना आसमान दिखाती है,

उतना ही ज़मीन का एहसास दिलाती है,

जितना ये सर चढ़के बोलती है,

उतनी ही औकात बताती है।

किसी की सगी नहीं ये,

लेकिन साथ छोड़ जाए तब,

अपने पराये में भेद बताती है।

शोहरत ख्वाबों की उड़ान देती है,

लेकिन पंख भी यही काटती है।

अच्छे अच्छों को बुरा,

लालच में पागल बना देती है।

जो हुआ इसका दीवाना,

उसी से बेगानी हो जाती है।

कहती है बस ये इतना,

जो हुआ सिर्फ मेरा,

ना रहा फिर वो कहीं का।


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