पृथ्वी
पृथ्वी
मैं तुमसे ख़ुश नहीं ,
लेकिन ख़फ़ा भी नहीं
जरा सी देर अंजाने में,
और तुम्हारा यूँ चले जाना,
अब न मनाने का कोई मौक़ा,
न हाथ सहलाने का कोई मौक़ा,
तुम्हारा रूठकर चले जाना,
यूँ मुझसे दूर- बहुत दूर
न कुछ कहा— २
न कुछ कहने दिया
मैं भावविभोर थी , तुम्हारे पास आने के लिये
बस, ज़रा सी देर अंजाने में,
और तुम्हारा यूँ रूठकर चले जाना
मुझसे दूर- बहुत दूर
तुम्हारी याद को दिलमे संजोकर रखुंगी ,
तुम्हीसे अपने दिल की बातें अब भी कहूँगी
काश मुझे रोक लेते,
मुझे टोक देते, मुझे जाने न देते,
मेरा हाथ पकड़ अपने पास बिठा लेते।
ज़रा सी देर अंजाने में,
और तुम्हारा यूँ रूठकर चले जाना,
मुझसे दूर बहुत दूर,
इस जहाँ से तो चले गये,
मेरे दिल मे जो क़ैद हो-
जा न पाओगे
तुम फिर आना
मुझे अपना बनाना
मुझे प्यार करना,
डाँटना भी - समझाना भी,
मैं तुम्हारी राह देखूँगी
किसी भी रुप मे आना,
किसी भी शक्ल मे आना
मैं तुम्हें पहचान लूँगी-२
लेकिन आना ज़रूर ,
मैं तुम्हारी राह देखूँगी।