STORYMIRROR

Kumar Gaurav Vimal

Drama Romance

4.5  

Kumar Gaurav Vimal

Drama Romance

Vakalat...

Vakalat...

1 min
459


पूछते हैं तुझसे ऐ ज़िंदगी, 

क्यों बुरी है तेरी इतनी हालत...

कर के तुझे कटघरे में खड़ा,

चल कर लेते है आज वक़ालत...


दिखाकर क्यों सपनें कई,

हर बार तू देता धोखा हैं...

इसलिए तुझपर इल्ज़ाम लगाकर,

आज ये केस मैंने ठोंका हैं...

न्यायधीश बनकर मेरी क़िस्मत ने,

सजा ली है अपनी अदालत...

कर के तुझे कटघरे में खड़ा,

चल कर लेते है आज वक़ालत...


अपने ख़ुशियों के संविधान से,

लगाऊंगा तुझपर कई धाराएं...

कोशिश करूँगा की तू जल्द से जल्द,

सज़ा काटने हवालात में जाएं...

>

ना होगा तू बाईज़्ज़त बरी,

ना मिलेगी तुझे जल्द ज़मानत...

कर के तुझे कटघरे में खड़ा, 

चल कर लेते है आज वक़ालत...


कर के अपने जुर्म को क़ुबूल,

मांग ले अपने रिहाई की भीख़...

फ़ैसला होगा आज ही,

ना मिलेगी कोई दूसरी तारीख़...

सबक सिखाने का वक़्त हैं आया,

बहुत हो गई अब शराफ़त...

कर के तुझे कटघरे में खड़ा, 

चल कर लेते है आज वक़ालत...


पूछते है तुझसे आज ऐ ज़िंदगी, 

क्यों बुरी है तेरी इतनी हालत...

कर के तुझे कटघरे में खड़ा,

चल कर लेते हैं आज वक़ालत...


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama